दुनियाभर को कोरोनावायरस महामारी की लड़ाई में अब तक वैक्सीन का सहारा |
पहले जर्मन कंपनी मर्क की मोल्नुपिराविर और अब इनके अलावा अमेरिका भी कंपनी फाइजर ने भी कुछ दिनों पहले ही अपनी एक पिल (कैप्सूल) पैक्सलोविड को कोरोना के खिलाफ कारगर करार कर दिया गया। भारत ,में इन दवाओं को मंजूरी देने के बारे में विचार किया जा रहा है |
कोरोनावायरस महामारी से लड़ाई में अब तक दुनियाभर को वैक्सीन का सहारा है। हालांकि, धीरे-धीरे दवा कंपनियां इससे निपटने के लिए कैप्सूल और अन्य तरह की दवाएं भी निकाल रही हैं, जिससे कोरोना से जंग में बड़ी बढ़त मिलने की संभावना है। ऐसी ही एक दवा है मर्क की मोल्नुपिराविर, जिसे कुछ दिनों पहले ही ब्रिटेन की तरफ से मंजूरी दी गई। रिपोर्ट्स की मानें तो जल्द ही भारत में भी मोल्नुपिराविर को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल सकती है।
फिलहाल यह दवा कैप्सूल के रूप में है, जिसे वयस्क आबादी के लिए उपयुक्त करार दिया गया है। यह दवा कोरोना के लक्षण को कम करने में कारगर साबित हुई है और इसके कोई नकारात्मक परिणाम भी नहीं देखने को मिले हैं। कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में यह दवा काफी असरदार पाई गई है।
जर्मन कंपनी मर्क की मोल्नुपिराविर के अलावा अमेरिकी कंपनी फाइजर ने भी कुछ दिनों पहले ही अपनी एक पिल (कैप्सूल) पैक्सलोविड को कोरोना के खिलाफ कारगर करार दिया। हालांकि, भारत में फिलहाल फाइजर की दवा आने में कुछ समय लग सकता है। इसकी एक वजह यह है कि फाइजर की दवा को अब तक किसी देश की ओर से इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी गई है। यानी किसी भी देश के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कैप्सूल के असर की पुष्टि नहीं हो पाई है। ऐसे में भारत में फाइजर की वैक्सीन के साथ-साथ दवा आने में भी काफी समय लगने का अनुमान है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे-जैसे भारत में कोरोना के केस कम होंगे, वैसे ही इन दवाओं के आने से आगे किसी लहर के खतरे से बचाव को और मजबूत किया जा सकता है।इस टैबलेट का सबसे अच्छा फ़ायद है की इसको घर पर भी लिया जा सकता है, जिससे की अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम होगी ,और इसका बड़ा फायदा गरीब देशो को होगा
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